Month: October 2020

अपना हाल दिल की दीवारों को सुनाया है,इस तरह भी हमने खुद को बहलाया है,जब भी याद आई है तन्हाई में तुम्हारी,चुपके से तेरी तस्वीर को सीने से लगाया है,कभी तोहमत ना लगे तुझ पर बेवफाई की,इसीलिए तेरी बेवफाई को सबसे छुपाया है,उस शहर में तेरे बाद अब मेरा दिल नहीं लगता,इसीलिए आकर इस वीराने …

बेवफाई… Read More »

तेरी तस्वीर कमरे से हटाई नहीं जाती,मोहब्बत तुम्हारी दिल से भुलाई नहीं जाती,किस मोड़ पर ले आई है ज़िन्दगी मुझे,की शमा भी एक अब तो जलाई नहीं जाती,हमसफ़र साथ हो तो ज़िन्दगी जीने का मज़ा है,तन्हा रातें तो जवानी में बिताई नहीं जाती,आगोश में सिमटे हों, होठ से होठ मिले हों,ऐसी हसरतें तो सनम मिटाई …

तड़प.. Read More »

वो पल तन्हाई के,वो मीठी-मीठी यादें,कुछ नमी सजी अश्कों की,वो सदियों लम्बी रातें,साँसों सी उलझी सर्द हवा जाने क्या बात सुनाये,टूटे पत्तों पर चलते कदम,तेरे आने की चाह जगाएं,मद्धम सा लगता सूरज जब मौसम भीना हो जाए,हल्का सा उलझा धुंआ,ख्वाब सा क्यूँ बन जाए,मिलकर भूले न कुछ,थी ऐसी नटखट वो शैतान,अब तो चेहरे पर पढता …

मीठी याद.. Read More »

खिलते रहना कलियों की तरह,महकते रहना फूलों की तरह,गाते रहना झरनों की तरह,चलते रहना लहरों की तरह,ग़म को पीना अमृत की तरह,हँसकर जीना बसंत की तरह,काम को करना कुछ इस तरह,की किस्मत खुद तुमसे पूछे,की मैं तेरे पास आऊँ किस तरह॥ —मोहित कुमार जैन

लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती,कोशिश करने वालों की हार नहीं होती। नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है,चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है।मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है।आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,कोशिश करने वालों की हार नहीं होती। डुबकियां सिंधु में गोताखोर …

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अर्द्ध रात्रि में सहसा उठकर,पलक संपुटों में मदिरा भर,तुमने क्यों मेरे चरणों में अपना तन-मन वार दिया था?क्षण भर को क्यों प्यार किया था? ‘यह अधिकार कहाँ से लाया!’और न कुछ मैं कहने पाया –मेरे अधरों पर निज अधरों का तुमने रख भार दिया था!क्षण भर को क्यों प्यार किया था? वह क्षण अमर हुआ …

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इन्साफ़ की डगर पे, बच्चों दिखाओ चल केये देश है तुम्हारा, नेता तुम्हीं हो कल के दुनिया के रंज सहना और कुछ न मुँह से कहनासच्चाइयों के बल पे आगे को बढ़ते रहनारख दोगे एक दिन तुम संसार को बदल केइन्साफ़ की डगर पे, बच्चों दिखाओ चल केये देश है तुम्हारा, नेता तुम्हीं हो कल …

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चाह नहीं मैं सुरबाला केगहनों में गूँथा जाऊँ चाह नहीं, प्रेमी-माला मेंबिंध प्यारी को ललचाऊँ चाह नहीं, सम्राटों के शवपर हे हरि, डाला जाऊँ चाह नहीं, देवों के सिर परचढ़ूँ भाग्य पर इठलाऊँ मुझे तोड़ लेना वनमालीउस पथ पर देना तुम फेंक मातृभूमि पर शीश चढ़ानेजिस पर जावें वीर अनेक ।। – माखनलाल चतुर्वेदी

सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थीबूढ़े भारत में आई फिर से नयी जवानी थीगुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थीदूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी चमक उठी सन सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थीबुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थीखूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी …

खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी Read More »

वक्त के साथ हालात बदलजाते हैलोगो के वो ज़जबात बदलजाते है। कोई करता है किसी केजवाब का इंतेजार,किसी के लिए वो सवालातबदल जाते है। हम तो होते हर दिन एक सेजाने क्योँ वो हर रात बदलजाते है। हम तो दिल से करते है“दोस्ती”उनके तो हर दिन दोस्तबदल जाते है। हम तो खड़े हैँ वही आज …

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