क्या लिखूं,क्या न लिखूं,कलम हाथ में है पर शब्द नहीं है,तुमसे मिलकर कुछ यूँ लगा,मानो जीवन में अब कोई दर्द नहीं है,तुम ही प्रियतमा,तुम ही सखी बनकर,तुम ही मेरी कविताओं के शब्द बनकर,कुछ यूँ घुल गयी हो मेरे जीवन में,की अब बस मिठास ही मिठास है,कोई कडवापन नहीं,दिल की आरज़ू,दिल की हसरत बनकर,और मेरे जीवन …
Month: October 2020
बीते पल जब याद आये,बस तुम ही मुझे याद आये,यूँ तो बसे हैं यादों में कई लोग,पर सबसे पहले,बस तुम ही याद आये,वो शाम का समय,और साथ तुम्हारा,वो कहना मेरा कुछ,और वो मुस्कुराना तुम्हारा,बीते पल जब याद आये,बस तुम ही मुझे याद आये,वो मेरा तुम्हे देखकर कोई शायरी कहना,और तुम्हारी नज़रों का झुक जाना,वो मेरा …
दिन गुज़रे,शाम गुजरी,शाम के बाद फिर रात गुजरी,तेरी यादों की महफ़िल से होकर,तेरी एक-एक बात गुजरी॥दीवानगी का आलम इस से ज्यादा क्या होगा,की दिया जलाए बैठे हैं आस का,आज भी दिल के उसी आँगन में,जिस आँगन से होकर,बस तू ही पहली बार गुजरी॥यूँ तो ज़माने हो गए तुमसे पहली मुलाकात किये,पर आज भी लगता है …
तुमसे मिलने से पहले,जीवन में कोई रंग न था,मन में कोई उमंग न थी,और आँखों में कोई सपना न था, पर तुमसे मिलने का बाद,जीवन सतरंगी हो गया,मन में उमंगो की लहर मचल उठी,और आँखों को सपने हकीकत बनते नज़र आने लगे, तुमसे मिलने से पहले,जीवन में कोई दोस्त न था,कहने को कोई अपना न …
यह रास्ते ज़िन्दगी के,जो फासले बन गए थे,तुम्हारे आने के बाद,जैसे मंजिलों से मिल रहे थे,वो रुखी-सूखी सी,बेरंग जो ज़िन्दगी थी,तुम्हारे आने के बाद,जैसे फूल उस में भी खिल गए थे,पतझड़ के मौसम में,तुम सावन बन गए थे,ज़िन्दगी की कहानी की तुम कविता बन गए थे,मेरे दिल की बगिया में कली बन के खिल गए …
लम्हा-लम्हा जो मैंने तुम्हारे बिन बिताया,लम्हा-लम्हा वो लगा जैसे हो एक कला साया,हर लम्हे में तुम्हारी याद बेहिसाब आई,ना चाहते हुए भी कई बार आँख भर आई,फलक पर चाँद भी तो तन्हा है मेरी तरह,पर उसे देखकर लगता है की सितारे तो हैं,ठीक वैसे ही मैं भी यहाँ पर तन्हा हूँ कितना,पर मुझे देखकर लगता …
उस दिन से ना जाने क्यूँ मेरी दुनिया ही बदल गयी,जिस दिन मैंने तुम्हे अपनी ज़िन्दगी में पहली बार देखा था,तुम आँखों में तारों सा नूर औरचेहरे पर फूलों सी मासूमियत लिए मेरे सामने से गुज़र गईं,और मैं किसी दीवाने की तरह,तुम्हे देखता रहा,बस देखता रहा,उस पहली ही मुलाकात ने जाने कैसा असर कर दिया …
मैं कल भी तन्हा था,मैं आज भी तन्हा हूँ,बारिश की उन बूंदों की तरह,जो तन्हा हैं बादलों का साथ होते हुए भी,आवारा उन भँवरों की तरह,जो तन्हा हैं फूलों के पास होते हुए भी, मैं कल भी तन्हा था,मैं आज भी तन्हा हूँ,पतझड़ में गिरते उन पत्तों की तरह,जो पेड़ों की शाख अपर हैं,शब्दों के …
मौत!एक हकीकत,एक फ़साना,या एक अर्धसत्य!नहीं!!एक संपूर्ण सत्य,जिसे हर दिल ने फ़साना माना,मगर मौत तो आती है,हमें किसी अँधेरे कमरे में बंद कर,दरवाज़ा लगा,फिर अपने मुकाम पर चली जाती है॥ अपरिवर्तित,अनश्वर, हृदयहीन, वो हर पल चौकस रहती है,जब भी आती है,तो हजारों आँखों को रुला जाती है,और शायद कभी खुद भी ग़मगीन हो जाती है॥ परन्तु …
मेरे जीवन को महका दो अपनी खुशबू से,इस घर के आँगन को पावन बना दो अपनी खुशबू से,चार दिनों की जिंदगानी के जो,ये कुछ पल हैं तुम्हारे साथ के,इन पलों को रंगीन बना दो अपनी खुशबू से,कुछ सूझता नहीं अब तुम्हारे बिना,कोई ख्याल नहीं आता अब तुम्हारे बिना,बाहों में अपनी भर लो मुझे,और मेरे दिल …
