सबसे महान वह है, जो खुद असमर्थ होते हुए भी दूसरों की भलाई के लिए निस्वार्थ काम करता है

चीन के दार्शनिक कन्फ्यूशियस दुनियाभर में प्रसिद्ध थे। वे बहुत ही सीधे शब्दों में गहरी बात किया करते थे। एक बार चीन के राजा ने कन्फ्यूशियस से पूछा, ‘आप मुझे किसी ऐसे इंसान से मिलवाएं, जिसका स्थान देवताओं से भी ऊंचा हो।’

कन्फ्यूशियस बोले, ‘वह इंसान आप खुद ही हैं, क्योंकि आप हमेशा सत्य जानना चाहते हैं।’

राजा बोला, ‘अगर ये बात सही है तो मुझे मुझसे भी अच्छे व्यक्ति से मिलवाएं।’

कन्फ्यूशियस ने कहा, ‘आपसे भी अच्छा और महान मैं हूं। क्योंकि, मैं और भी ज्यादा सत्यों को जानना चाहता हूं।’

राजा बोला, ‘तो फिर मुझे आपसे भी अच्छे व्यक्ति से मिलना हो तो?’

तब कन्फ्यूशियस बोले, ‘मैं ऐसे एक व्यक्ति को जानता हूं। चलिए, आप आपको को भी उसके पास ले चलता हूं।’

राजा को लेकर कन्फ्यूशियस एक ऐसी जगह पहुंचे, जहां एक बहुत बूढ़ा व्यक्ति कुआं खोद रहा था।

राजा ने पूछा, ‘ये कौन है और क्या कर रहा है?’

कन्फ्यूशियस ने जवाब दिया, ‘दूसरों को पानी मिल सके, इसलिए ये बूढ़ा व्यक्ति कुआं खोद रहा है। मैं इसे बहुत अच्छी तरह से जानता हूं। ये बहुत परोपकारी है। दूसरों की सेवा हो सके, ऐसा हर काम ये करता है। अभी इसका शरीर जवाब दे चुका है। बुढ़ापे की वजह से कमजोरी आ गई है। लेकिन, इसे सेवा करने में आनंद मिलता है। इसलिए, ये खुद का दुख-दर्द नहीं देखता है। मेरी दृष्टि में हम दोनों से और सबसे महान वह व्यक्ति है, जो दूसरों की सेवा के लिए अपना सुख नहीं देखता है।’

सीख – हमारे जीवन में कई बार ऐसा समय आता है, जब हमें दूसरों की सेवा करने का, जरूरतमंद लोगों की मदद करने का मौका मिलता है। उस समय अपनी शक्ति के अनुसार जो भी मदद कर सकते हैं, जरूर करें। आज भी संसार में बहुत सारे ऐसे लोग हैं, जो असमर्थ होने के कारण परेशानियों में हैं। हम जब भी ऐसे लोगों को सेवा करते हैं तो ये परमात्मा की पूजा करने का जैसा ही है।

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