महफ़िल-ए-शेर-ओ-शायरी…..भाग ६

बिन सावन बरसात नहीं होती,
सूरज डूबे बिना रात नहीं होती,
इसीलिए ए दोस्त किसी का दिल मत तोडना,
क्यूंकि दिल के टूटने की आवाज़ नहीं होती..

क्यूँ ना आपके आने की आरज़ू रखें दिल में,
आप कदम जहां रख दें,मिट्टियाँ महकती हैं,
आपसे बिछड़े तो मुझे हो गयी है एक मुद्दत,
अब भी मेरी साँसों में आपके हाथों की मेहंदियाँ महकती हैं..

बड़ी आसानी से दिल लगाये जाते हैं,
पर बड़ी मुश्किल से जुदा किये जाते हैं,
ले जाती है मोहब्बत उन राहों पर,
जहां दिए नहीं दिल जलाए जाते हैं..

मोहब्बत की शमा जलाकर तो देखो,
दिल की रंगीनियाँ सजा कर तो देखो,
तुम्हें हो ना जाए इश्क तो कहना,
ज़रा हमसे नज़रें मिलकर तो देखो..

हँसी ने लबों पर थिरकना छोड़ दिया,
ख़्वाबों ने सपनो में आपना छोड़ दिया,
नहीं आती अब तो हिचकियाँ भी,
शायद अपनों ने याद करना भी छोड़ दिया…

मोहब्बत में किसी ने इस तरह दिल तोडा,
की लबों पर अब उसका नाम तक नहीं आता,
दिल तो हम कहीं और भी लगा लेते,
पर टूटा हुआ दिल किसी के काम भी तो नहीं आता..

नज़र ने नज़र से मुलाकात कर ली,
रहे दोनों खामोश पर बात कर ली,
सरे नज़्म उसने हमारे अलावा,
इधर बात कर ली,उधर बात कर ली..

खामोश पलकों से बहकर आँसू आते हैं,
वो क्या जाने वो कितना याद आते हैं,
आज भी हम उस मोड़ पर खड़े हैं,
जिस गली से वो निकलकर जाते हैं..

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