महफ़िल-ए-शेर-ओ-शायरी…..भाग १

तुम पावन प्रेम का प्याला हो,
नैनों में जादू,देह से ज्वाला हो,
पीता रहूँ मैं मय प्रेम कि उम्रभर,
तुम सचमुच प्रेम कि मधुशाला हो..

मेरे दिल में धड़कती है तेरे दिल कि धड़कन,
मेरी साँसों में महकता है तेरे बदन का चन्दन,
तेरी आँखों के उजाले से है मेरी आँखें रोशन,
तेरे प्यार में समर्पित है मेरा सारा जीवन..

हर ख़ामोशी का मतलब इकरार नहीं होता,
हर नाकामयाबी का मतलब हार नहीं होता,
क्या हुआ जो हम तुम्हे पा ना सके,
सिर्फ पाने का मतलब ही प्यार नहीं होता..

जो भी तटबंध तोड़े,प्यार है,
जिस्म को जो जान से जोड़े,प्यार है,
मैं रहूँगा जन्म-जन्मों तक तुम्हारा,
जो कभी साथ ना छोड़े,प्यार है..

उन्हें देखककर सारी ख़ुशी हमें मिल जाती है,
उनके चेहरे कि उदासी दिल दुखाती है,
उनकी ख़ुशी में हम कभी शामिल नहीं होते,
क्यूंकि बहुत जल्दी हमारी नज़र लग जाती है..

कवि :-मोहित कुमार जैन

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