मौत !

मौत!
एक हकीकत,एक फ़साना,या एक अर्धसत्य!
नहीं!!एक संपूर्ण सत्य,
जिसे हर दिल ने फ़साना माना,
मगर मौत तो आती है,
हमें किसी अँधेरे कमरे में बंद कर,दरवाज़ा लगा,
फिर अपने मुकाम पर चली जाती है॥

अपरिवर्तित,अनश्वर, हृदयहीन, वो हर पल चौकस रहती है,
जब भी आती है,
तो हजारों आँखों को रुला जाती है,
और शायद कभी खुद भी ग़मगीन हो जाती है॥

परन्तु फिर भी निरंतर,निर्विकार, से बढती जाती है,
आती है,हमें किसी अँधेरे कमरे में बंद कर,दरवाज़ा लगा,
फिर अपने मुकाम पर चली जाती है॥

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