क्यों बनी जमीन पर बैठकर खाना खाने की परंपरा?

भारत में प्रचीन समय से ही जमीन पर बैठकर खाना खाने की परंपरा थी। लेकिन आज पाश्चात्य संस्कृति के बढ़ते प्रभाव के कारण डायनिंग टेबल पर खाना खाने की संस्कृति हमारे यहां बस चुकि है।हमारे पूर्वजो ने जो भी परंपरा बनाई थी उसके पीछे कोई गहरी सोच थी।

इसलिए जमीन पर सुखासन में बैठकर खाना खाने की परंपरा बनाई गई। जमीन पर सुखासन अवस्था में बैठकर खाने से वे कई स्वास्थ्य संबंधी लाभ प्राप्त कर शरीर को ऊर्जावान और स्फू र्तिवान बना सकते हैं।

जमीन पर बैठकर खाना खाते समय हम एक विशेष योगासन की अवस्था में बैठते हैं, जिसे सुखासन कहा जाता है। सुखासन पद्मासन का एक रूप है। सुखासन से स्वास्थ्य संबंधी वे सभी लाभ प्राप्त होते हैं जो पद्मासन से प्राप्त होते हैं।

– बैठकर खाना खाने से हम अच्छे से खाना खा सकते हैं।
– इस आसन से मन की एकाग्रता बढ़ती है।
– इस तरह खाना खाने से मोटापा, अपच, कब्ज, एसीडीटी आदि पेट संबंधी बीमारियों में भी राहत मिलती है।
– सुखासन से पूरे शरीर में रक्त-संचार समान रूप से होने लगता है। जिससे शरीर अधिक ऊर्जावान हो जाता है।
– इस आसन से मानसिक तनाव कम होता है और मन में सकारात्मक विचारों का प्रभाव बढ़ता है।
– इससे हमारी छाती और पैर मजबूत बनते हैं।
– सुखासन वीर्य रक्षा में भी मदद करता है।

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