सचिन @ 40

कुछ महीनो पहले क्रिकेट के भगवान् सचिन तेंदुलकर ने क्रिकेट से हमेशा के लिए अलविदा कह दिया.कहते भी क्यूँ नहीं,जब भगवान् का दर्जा देने वाले भक्त ही भगवान् की प्रतिष्ठा पर सवाल उठाने लग जाए तो एक आदर्श इश्वर-स्वरूपी को स्वयं को इस कीचड़ से अलग कर लेना ही चाहिए था और वैसा ही हुआ भी.दुनिया उगते सूर्य को प्रणाम करती है परन्तु सचिन एक कभी भी अस्त न होने वाले सूर्य की तरह भारतीय क्रिकेट पर हमेशा छाये रहेंगे.मुझे आज भी आश्चर्य होता है की जब ४५ साल के एक नेता को युवा कह कर युवा वर्ग के प्रतिनिधि के रूप में जबरन प्रदर्शित कर उसे राष्ट्रीय राजनीती में लाने की क़वायत चलती है तो ४० साल का सचिन तेंदुलकर बूढ़ा कैसे हो जाता है.क्या सचिन जैसा महान क्रिकेटर टीम में रहकर युवा पीढ़ी का सही मार्गदर्शन नहीं कर सकता? और इस बात का फैसला करने वाले वो लोग होते हैं जिन्होंने कभी हाथ में क्रिकेट का बैट-बॉल भी नहीं पकड़ा हो.आश्चर्य होता है लोगों की मानसिकता पर…मैं आज भी मानता हूँ की देश को सचिन जैसे कठोर परिश्रमी और आदर्श लोगों की ज़रुरत है नई पीढ़ी का मार्गदर्शन करने की बजाय इसके की एक ४५ साल का बूढ़ा,माँ की गोद में सिमटा हुआ “पप्पू” किस्म का व्यक्ति नई पीढ़ी का आदर्श बने….जय हिन्द…

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