इंसानों के कन्धों पर इंसान जा रहे हैं,
कफ़न में लिपटे हुए कुछ अरमान जा रहे हैं,
जिन्हे मिली मोहब्बत में बेवफाई,
वफ़ा कि तलाश में वो कब्रिस्तान जा रहे हैं…
ज़िन्दगी में अभी तो बहुत चलना बाकी है,
अभी तो कई इम्तेहानों से गुज़ारना बाकी है,
हमें लड़ना है ज़िन्दगी कि सभी मुश्किलों से,
अभी तो नापी है बस मुट्ठी बार ज़मीन,
अभी तो सारा आसमान नापना बाकी है…
हमारी महफ़िल को फ़साना मिल गया,
और ग़ज़लों को अफसाना मिल गया,
आपकी दोस्ती कुछ ऐसी मिली ऐे दोस्त,
जैसे खुद कि तरफ से एक नज़राना मिल गया…
तू आ तो सही,
एक बार अपने गले से मुझे लगा तो सही,
कबसे प्यास हूँ तेरे एक दीदार के लिए,
आके एक बार अपना चेहरा दिखा तो सही…
जुदा हैं तो क्या हुआ,दूरी तो नहीं,
बात भी ना हो,ऐसी मजबूरी तो नहीं,
नज़र नहीं आते हो आप तो क्या हुआ,
इन आँखों में तस्वीर आपकी अधूरी तो नहीं..