स्वामी विवेकानंद को कई बार लोग बहुत महंगे उपहार भी दे देते थे। किसी राजा ने उन्हें बहुत कीमती घड़ी भेंट की थी। एक दिन स्वामीजी वही घड़ी पहनकर रेलगाड़ी से कहीं जा रहे थे। ट्रेन में उनके पास कुछ लड़कियां भी बैठी थीं।
लड़कियों ने देखा कि साधु ने बहुत महंगी घड़ी पहनी है, लेकिन कपड़े तो सामान्य हैं। लड़कियां थोड़ी शरारती थीं तो उन्होंने सोचा कि साधु को परेशान किया जाए।
लड़कियों ने घड़ी की और इशारा करके स्वामीजी से कहा, ‘तुम ये घड़ी हमें दे दो।’
विवेकानंदजी ने कहा, ‘ये भेंट में मिली है।’
इसके बाद वे मौन हो गए। जब स्वामीजी ने लड़कियों को घड़ी नहीं दी तो उन्होंने स्वामीजी को परेशान करना शुरू कर दिया। जब बात ज्यादा बढ़ गई तो स्वामीजी आंखें बंद करके बैठ गए और चुपचाप लड़कियों की बातें सुनने लगे।
लड़कियों ने उन्हें डराया और बोला, ‘अगर तुमने ये घड़ी हमें नहीं दी तो हम शोर मचाएंगी, पुलिस बुला लेंगी और कहेंगी कि तुमने हमारा दैहिक शोषण करने का प्रयास किया है।’
विवेकानंदजी ने आंखें खोलीं और इशारा में कहा कि मैं सुन नहीं सकता, मैं बहरा हूं। इसके बाद उन्होंने एक कागज पर लिखकर दिया कि अब तक जो भी कुछ कहा है, वह मुझे सुनाई नहीं दिया। आप जो भी कुछ चाहती हैं, मुझे एक कागज पर लिखकर दे दीजिए।
ये देखकर लड़कियां चौंक गईं। लड़कियों ने एक कागज पर लिखा कि तुम हमें अपनी घड़ी दे दो, वरना हम शोर मचाकर पुलिस को बुला लेंगी और हम कहेंगी कि तुम हमारा दैहिक शोषण करने का प्रयास कर रहे हो।
लड़कियों ने सोचा भी नहीं था कि एक साधु इतना बुद्धिमान हो सकता है। उन्होंने कागज पर लिखकर अपनी इच्छा बता दी। कागज स्वामीजी को दे दिया। इसके बाद स्वामीजी ने कहा, ‘दूसरों को मूर्ख समझकर उनका शोषण करने की गलती मत करो। अब तुम चाहो तो पुलिस बुला लो। मेरे पास तुम्हारी लिखी हुई चिट्ठी है। मैं पुलिस को ये बता दूंगा।’
लड़कियां मान गईं कि ये साधु कोई सामान्य व्यक्ति नहीं है। ये बहुत बुद्धिमान है।
सीख – यहां विवेकानंदजी ने सीख दी है कि अगर कोई बुरा व्यक्ति हमारी सरलता का दुरुपयोग करने की कोशिश करे या हमारा शोषण करने की कोशिश करता है तो हमें भी चतुराई का उपयोग करना चाहिए। वरना हमारी परेशानियां बढ़ सकती हैं।