एक जमाना था – तन ढकने को कपड़े न थे,
फिर भी लोग तन ढ़कने का प्रयास करते थे ।
आज कपड़ों के भंडार हैं, फिर भी तन दिखाने का प्रयास करते हैं
*हम सभ्य जो हो रहे हैं ।*
एक जमाना था, आवागमन के साधन कम थे।
फिर भी लोग परिजनों से मिला करते थे।
आज आवागमन के साधनों की भरमार है।
फिर भी लोग न मिलने के बहाने बनाते हैं ।
*हम सभ्य जो हो रहे हैं ।*
एक जमाना था, गाँव की बेटी का सब ख्याल रखते थे।
आज पड़ौसी की बेटी को भी उठा ले जाते हैं ।
*हम सभ्य जो हो रहे हैं ।*
एक जमाना था, लोग नगर-मौहल्ले के बुजुर्गों का हालचाल पूछते थे ।
आज माँ-बाप तक को वृद्धाश्रम में डाल देते हैं ।
*हम सभ्य जो हो रहे हैं ।*
एक जमाना था, खिलौनों की कमी थी ।
फिर भी मौहल्ले भर के बच्चे साथ खेला करते थे ।
आज खिलौनों की भरमार है, पर घर-द्वार तक बंद हैं ।
*हम सभ्य जो हो रहे हैं ।*
एक जमाना था, गली-मोहल्ले के जानवर तक को रोटी दी जाती थी ।
आज पड़ौसी के बच्चे भी भूखे सो जाते हैं ।
**हम सभ्य जो हो रहे हैं !*
एक जमाना था, नगर-मोहल्ले मे आए अनजान का भी पूरा परिचय पूछ लेते थे ।
आज तो पड़ौसी के घर आए मेहमान का नाम भी नहीं पूछते ।
*हम सभ्य जो हो रहे हैं !*
*वाह री सभ्यता ! वाह री सभ्यता ! वाह री सभ्यता !*