एह्साह

हर नज़र को एक नज़र की तलाश है,
हर चहरे मे कुछ तो एह्साह है!

आपसे दोस्ती हम यूं ही नही कर बैठे,
क्या करे हमारी पसंद ही कुछ “ख़ास” है!

चिरागों से अगर अँधेरा दूर होता,
तो चाँद की चाहत किसे होती!

कट सकती अगर अकेले जिन्दगी,
तो दोस्ती नाम की चीज़ ही न होती!

कभी किसी से जीकर ऐ जुदाई मत करना,
इस दोस्त से कभी रुसवाई मत करना!

कभी अगर दिल भर जाये तो संग अपने रुला लेना,
तनहा जी कर अपने इस दोस्त को इतने बड़ी सजा ना देना!

दोस्ती सची हो तो वक्त रुक जता है,
अस्मा लाख ऊँचा हो मगर झुक जता है!

दोस्ती मे दुनिया लाख बने रुकावट,
अगर दोस्त सचा हो तो खुदा भी झुक जता है!

दोस्ती वो एहसास है जो मिटती नही,
दोस्ती पर्वत है वोह, जोह झुकता नही!

इसकी कीमत क्या है पूछो हमसे,
यह वो “अनमोल” मोती है जो बिकता नही!

सची है दोस्ती आजमा के देखो,
करके यकीं मुझपर मेरे पास आके देखो!
बदलता नही कभी सोना अपना रंग,
चाहे जितनी बार आग मे जला के देखो !!

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *