शायरी(१०-०५-२०१४)

तेरे बिछड़ने का दुःख हम सह नहीं सकते,
भरी महफ़िल में आज कुछ कह नहीं सकते,
हमारे गिरते हुए आँसू पकड़ के देख,
वो भी कहेंगे हम तेरे बिन रह नहीं सकते…

वो नदियां नहीं आँसू थे मेरे जिनपर वो कश्ती चलाते रहे,
मंज़िल मिले उन्हें ये चाहत थी मेरी,इसीलिए हम आँसू बहाते रहे…

एक ख्याल सा दिल में समा जाता है,
वो एक शख्स दिल को बहुत भाता है,
उनकी आँखों से देखता हूँ मैं दुनिया साड़ी,
इसीलिए हर तरफ बस वो ही नज़र आता है….

ए दिल चल एक सौदा करते हैं,
तू मेरे लिए धड़कना छोड़ दे,
मैं उसके लिए तड़पना छोड़ दूँ…

यूँ मिले कि मुलाक़ात हो ना सकी,
होंठ काँपे मगर कोई बात ना हो सकी,
मेरी खामोश निगाहें हर बात कह गयी,
और उनको शिकायत है कि कोई बात ना हो सकी…

मुझे भीख की खुशियाँ मंज़ूर नहीं,
मैं जीता हूँ अपनी तकलीफों में भी नवाबों की तरह…

यादों से ज़िन्दगी खूबसूरत रहेगी,
निगाहों में हर पल ये सूरत रहेगी,
कोई ना ले सकेगा कभी आपकी जगह,
इस दोस्त को हमेशा आपकी ज़रुरत रहेगी…

मोहब्बत तो बस दिल देखकर ही की जाती है,
चेहरा देख कर के तो लोग सौदा करते हैं….

बादल गरजा पर बरसात नहीं है,
दिल धड़का पर आवाज़ नहीं है,
बिना हिचकी के गुज़र गया आज का दिन,
क्या एक पल के लिए भी तेरे दिल में मेरी याद नहीं है…

नफरत को हज़्ज़र मौके दो कि वो मोहब्बत बन जाए,लेकिन
मोहब्बत को एक भी ऐसा मौका नादो कि वो नफरत बन जाए….

दिल से रोये मगर होठों से मुस्कुरा बैठे,
हम यूँ ही तुमसे दिल लगा बैठे,
वो हमें एक लम्हा ना दे पाये अपना,
जिनके लिए हम अपना सारा सुकून गँवा बैठे…

उस नज़र की तरफ ना देखो जो तुम्हे देखने को इंकार करती है,
दुनिया की इस महफ़िल में उस नज़र को ही देखो जो तुम्हारा ही इंतज़ार करती है…

आँखों में आ जाते हैं आँसू फिर भी लबों पे हँसी रखनी पड़ती है,
ये मोहब्बत भी क्या चीज़ है यारों,
जिस से करते हैं,उसी से छुपानी पड़ती है…

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