चाँद के बिना अधूरी रात रह जाती है,
याद कुछ हसीं मुलाक़ात रह जाती है,
सच है ज़िन्दगी कभी रूकती नहीं,
वक़्त निकल जाता है पर बात रह जाती है….
ए काश बेवफाई हम भी कर पाते,
भूल जाने के खेल हम भी खेल पाते,
उन्होंने दिल पर चोट कुछ ऐसी की,
आँसू को छिपा कर काश हम भी रो पाते…
पल क्या,दिन क्या,सालों गुज़र गए,
एक तुम ही बस नहीं आयीं,कई मौसम गुज़र गए….
दीवाना हूँ मैं यार,बस दो-चार दिन और,
फिर ना हम रहेंगे,ना दीवानगी रहेगी…..
मेरी मय्यत दुनियावाले बस दफनाने ही वाले हैं,
तेरी दुनिया सलामत रहे,हम तो जाने वाले हैं…..
ना मालूम था जिस पर है नाज़ हमको,
हमें एक दिन वो ही तकदीर रुलाएगी,
जिसे प्यार समझता रहा यह दीवाना अब तक,
उसका वो प्यार ही उसकी दीवानगी कहलाएगी……
तुझे दिल दिया जो हमने,बस यही एक भूल कर बैठे,
तेरी ख़ुशी के लिए संगदिल हम हर ग़म कुबूल कर बैठे…
दिन गुज़रते रहे हमरे,और रातें सुहानी जाती रहीं,
याद करके हरपाल तुमको,आँखें हमारी अश्क बहाती रहीं….
शायरी को क्या पढ़ती हो,कभी इस दिल को पढ़ कर देखो,
ग़म ज्यादा ख़ुशी कम मिलेगी,दो कदम तुम भी बढ़ कर देखो…
अपनी मोहब्बत की दास्ताँ हम सबसे छुपाये बैठे हैं,
एक उनकी ख़ुशी की खातिर,हम हर ग़म अपनाए बैठे हैं….
तुम्हारे दिल की बात हम जान ही जायेंगे,
मुँह से चाहे ना बोलो,इशारे पहचान जायेंगे….
इश्क ही मज़हब हमर,इश्क ही खुदा है,
मंजिल तो एक है हमारी,फिर हम क्यूँ जुदा हैं…
सुनसान था यह दिल,जब तक कोई दिलदार ना था,
खुद को अकेला महसूस करते थे,जब तक तुमसे प्यार ना था….
पूछते हैं हम खुदा से,हम पर ही क्यूँ मजबूरी होती है,
इतने करीब रहने पर भी,क्यूँ यह ज़ालिम दूरी होती है…
अगर ज़िन्दगी में जुदाई ना होती,
तो कभी किसी की याद आई ना होती,
साथ ही गुज़रता हर लम्हा जो शायद,
रिश्तों में यह गहराई न होती….
आज आसमान के तारों ने मुझसे पूछ लिया,
क्या तुम्हे अब भी यकीन है उसके लौट आने का,
मैंने मुस्कुराकर कहा,तुम लौट आने की बात करते हो,
मुझे तो अब भी यकीन नहीं है उसके जाने का….
तेरी आँखों में जो नमी सी छाई है,
वो मेरे दूर होने की गवाही है,
याद इतना भी न करो मुझे,
हिचकियाँ ले लेकर मेरी जान पर बन आई है…
दिल जलाकर मेरा मुस्कुराते हैं वो,
अपनी आदत से कब बाज़ आते हैं वो,
पूछ लेते हैं मुझसे हर राज़ मेरा,
अपनी हर बात मुझसे छिपाते हैं वो…