स्वाभिमान

मेरे दोस्त ने कहा- “स्वाभिमानी बनो, तो बहुत आगे बढोगे” मैंने कहा- शहर आने से पहले, मेरे पास भी “एक” स्वाभिमान था. बसों में धक्के खाके, सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाके, नैराश्य के धूप में जलके, असफलता की बारिश में गल के, अंततः थक कर और चूर होके, मैंने स्वाभिमान को” पुरानी ” पतलून की किसी जेब में रख दी. आज उसके कहने पर मैंने, फिर उस पतलून को ढूंढा: उसकी जेब में बड़ा सा छेद था, और स्वाभिमान गायब था कहीं. पर, हाँ, मैं,सचमुच,आज, “बहुत आगे बढ़ चुका हूँ”.मेरे दोस्त ने कहा- “स्वाभिमानी बनो, तो बहुत आगे बढोगे” मैंने कहा- शहर आने से पहले, मेरे पास भी “एक” स्वाभिमान था. बसों में धक्के खाके, सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाके, नैराश्य के धूप में जलके, असफलता की बारिश में गल के, अंततः थक कर और चूर होके, मैंने स्वाभिमान को” पुरानी ” पतलून की किसी जेब में रख दी. आज उसके कहने पर मैंने, फिर उस पतलून को ढूंढा: उसकी जेब में बड़ा सा छेद था, और स्वाभिमान गायब था कहीं. पर, हाँ, मैं,सचमुच,आज, “बहुत आगे बढ़ चुका हूँ”.

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