दिल

दिल ने तुम्हे फिर याद किया,
दिल को तेरी कमी महसूस हुई,
दिल रोया ना जाने क्यूँ तुझ बेवफा की याद में,
दिल को सुकून दे ऐसी बात की कमी महसूस हुई,
दिल ने चीख-चीख के सुनाये किस्से तेरी बेवफाई के,
दिल ने रो-रो के गाए नगमे बेवफाई के,
पर तुम्हें क्यूँ सुनाऊँ, दास्तान दिल-ए-नादान की,
जिसे ठोकर मार के चली गयीं,बन के अनजान सी,
नगमे तेरी बेवफाई के लिख-लिख के दुनिया को बताऊंगा,
और तेरे दिल को भी एक तकलीफ दे जाऊँगा,
ताकि याद रहे तुझे की किसी का दिल नहीं तोडना चाहिए,
जिसे चाहे कोई सच्चे दिल से,उसे रुसवा नहीं करना चाहिए॥

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