कोई पूछे तुमसे कौन हूँ मैं ,
तुम कह देना कोई ख़ास नहीं ………….
एक दोस्त है सच्चा-सच्चा सा,
एक ख्वाब है कच्चा पक्का सा,
जीवन कि आप-धापी में,
जो साथ निभाए निश्चल मन से,
अवचेतन मन में मेरे समाया,
एक ख्याल है कोई अपना सा,
कोई पूछे तुमसे कौन हूँ मैं ,
तुम कह देना कोई ख़ास नहीं …………….
जब शाम ढले उदासियों का मंज़र
जीवन को ओढ़े जाता है,
तब उम्मीदों की लौ जलाकर,
जो खुशियों को ले आता है,
मेरी भावनाओं को समझते हुए,
जो पहचान नयी मेरी बनता है,
एक मुसाफिर है ऐसा अपना सा,
कोई पूछे तुमसे कौन हूँ मैं ,
तुम कह देना कोई ख़ास नहीं ………..
हवा का एक सुहाना झोंका है
फूलों कि प्यारी खुशबू लिए,
कलरव करती चिड़ियों कि धुन पर,
बांसुरी बजाता बेगानों सा
कोई पूछे तुमसे कौन हूँ मैं ,
तुम कह देना कोई ख़ास नहीं………..
एक दोस्त है सच्चा-सच्चा सा,
एक ख्वाब है कच्चा पक्का सा
एक साथी जो अनकही कुछ बातें कह जाता है
और जीने का एक नया मकसद दे जाता है,
जो साथ होकर भी ख़ास है,
एक एहसास है दिल का अच्छा सा,
कोई पूछे तुमसे कौन हूँ मैं ,
तुम कह देना कोई ख़ास नहीं…………..
तलाश है मेरी इन आँखों की,
जो पूरा हुआ एक सपना सा,
कोई पूछे तुमसे कौन हूँ मैं ,
तुम कह देना कोई ख़ास नहीं…………..
एक दोस्त है सच्चा-सच्चा सा,
एक ख्वाब है कच्चा पक्का सा