कुछ इस तरह…

खिलते रहना कलियों की तरह,
महकते रहना फूलों की तरह,
गाते रहना झरनों की तरह,
चलते रहना लहरों की तरह,
ग़म को पीना अमृत की तरह,
हँसकर जीना बसंत की तरह,
काम को करना कुछ इस तरह,
की किस्मत खुद तुमसे पूछे,
की मैं तेरे पास आऊँ किस तरह॥

—मोहित कुमार जैन

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