कही-अनकही सी बातें …

कही-अनकही सी बातें सब जानी-पहचानी सी लगती है,
तुझसे मेरी मुलाक़ात पुरानी सी लगती है,
लगता है तू साथ था मेरे कई जन्मों से,
उन किस्से-कहानियों में अपनी कहानी सी लगती है,
देखूं जो कहीं नज़र उठा कर इस चमन को मैं,
हर ज़र्रे में तेरी कहानी सी लगती है,
करें जो बात हम धडकनों की अपनी,
तो तेरे मिलने के बाद ये भी बेगानी सी लगती हैं,
एक मुद्दत से तू साथ है मेरे,
फिर भी अनजानी सी लगती है,
बहुत चाहा था तुझे कभी,
आज किस्सा-कहानी सी लगती है,
सच है प्यार है तुझसे बहुत,
ये बात भी अब बेगानी सी लगती है,
दर्द इतना है की ये जुबां चुप है,
ये तन्हाई अब तूफानी सी लगती है,
तुझसे मेरी मुलाक़ात पुरानी सी लगती है….

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