एक कविता…..(30-01-2012)

आज तक बहुत कुछ खोया है हमने,
लेकिन आज कुछ पाने को दिल चाहता है.
हर हालात को ख़ुशी से क़ुबूल किया है हमने,
लेकिन आज उनसे लड़ने को दिल चाहता है.
अब तक थे जिंदगी में तनहा हम लेकिन,
अब किसी को अपना बनाने को दिल चाहता है.
न जाने कब से नहीं सोये हैं हम लेकिन,
आज जी भरके सोने को दिल चाहता है.
चलते चलते बहित थक गए हैं हम लेकिन,
आज एक जगह रूक जाने को दिल चाहता है.
हर बात को हस कर टाल देते थे हम ,लेकिन
न जाने क्यूँ आज रोने को दिल चाहता है.

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