शायरी(२८-०६-२०१४)

काश आप जिनको चाहते हों उनसे मुलाक़ात हो जाए,
जुबां से ना सही,आँखों से ही बात हो जाए,
आप का हाथ उनके हाथों में हो,
और रिमझिम सी बरसात हो जाए…

मौसम है बारिश का और याद तुम्हारी आती है,
बारिश के हर क़तरे से आवाज़ तुम्हारी आती है,
बादल जब गरजते हैं तो दिल की धड़कन बढ़ती है,
और दिल की हर धड़कन से आवाज़ तुम्हारी आती है,
जब तेज़ हवाएं चलती हैं,तो जान हमारी जाती है,
मौसम है बारिश का और याद तुम्हारी आती है…

हुकूमत तो हम मरने के बाद भी करेंगे,
लोग पैदल चल रहे होंगे और हम कन्धों पर…

बचपन से यूँ ही रखते रहे दिल साफ़ अपना,
तब पता नहीं था यहां कीमत तो चेहरों की होती है,दिल की नहीं…

उसकी चाहत से इक़रार ना करते,
उसकी क़समों का ऐतबार ना करते,
अगर पता होता की हम सिर्फ मज़ाक हैं उनके लिए,
क़सम से जान दे देते पर उनसे प्यार ना करते…

मोहब्बत क्या है दो लफ़्ज़ों में तुझे बता देता हूँ,
तेरा मजबूर करना,और मेरा मजबूर हो जाना…

तेरी बंदा परवारी से मेरे दिन गुज़र रहे हैं,
ना गिला है दोस्तों का,न शिकायत-ए-ज़माना….

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *