शायरी(२४-०१-२०१४)

मांगी थी दुआ मैंने रब से,
देना कुछ ऐसा जो हो अलग सबसे,
मिला दिया हमको उसने आपसे,
और कहा सम्भालो यही है अनमोल सबसे..

सांसें बनकर साथ निभाएंगे,
कोशिश रहेगी कि आपको नहीं सतायेंगे,
कभी पसंद ना आये साथ हमारा तो बता देना,
महसूस भी ना कर पाओगे इतना दूर चले जायेंगे…

उनकी चाहत में दिल मजबूर हो गया,
बेवफाई करना उनका दस्तूर हो गया,
कसूर उनका नहीं मेरा था,
हमने चाहा ही इतना कि उनको शायद गुरूर हो गया…

कोई-कोई शख्स इतना ख़ास होता है,
नज़रों से दूर पर यादों में पास होता है,
कभी-कभी ही आता है पैग़ाम उनका,
पर हर पैग़ाम में अपनेपन का एहसास होता है…

जब खामोश आँखों से बात होती है,
ऐसे ही मोहब्बत कि शुरुआत होती है,
तुम्हारे ही ख्यालों में खोये रहते हैं,
पता नहीं कब दिन और कब रात होती हैं…

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