शायरी(२१-०६-२०१४)

ऐ खुदा बेवफाई की इन्तहा कर दे,
ताकि मालूम हो की वफ़ा क्या है…

देगा अगर दर्द तो खुद भी डूबेगा,
वो एक शख्स जो आँखों में रहता है…

कौन किसी से चाहकर दूर होता है,
हर कोई अपने हालात से मजबूर होता है,
हम तो बस इतना जानते हैं कि,
हर रिश्ता मोती और हर दोस्त कोहिनूर होता है…

उदास मुस्कुराहटों के पीछे,ग़म के रेले हैं,
अब तुम्हे क्या बताएं,कि तुम बिन हम कितने अकेले हैं…

काश तक़दीर भी होती ज़ुल्फ़ कि तरह,
जब-जब बिखरती,तब-तब सँवार लेते…

फिर आज आँसुओं में नहायी हुई है रात,
शायद हमारी तरह ही सताई हुई है रात…

तुम्हे मालूम है कि मैं अकेले जी नहीं सकता,
मेरी आदतें बदलने तक तो मेरे साथ रुक जाओ…

कभी पत्थर से भी टकराये तो खराश तक ना आये,
कभी बात ही से इंसान टूट जाते हैं…

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