शायरी(२०-०६-२०१४)

सजा है मौसम आज फिर तुम्हारी महक से ऐ दोस्त,
लगता है हवाएं तुम्हे छूकर आई हैं…

इस शर्त पे खेलूंगा प्यार की बाज़ी,
जीतूं तो तुझे पाऊँ,और हारुँ तो तेरा हो जाऊँ…

माना की वो खूबी नहीं हममें की तेरा साथ पा सकें,
पर जाने ले ऐ दोस्त,हम तेरी ज़िन्दगी में अपना एहसास छोड़ जाएंगे…

काश कि मैं तेरी आँखों का पानी बन जाऊँ ऐ दोस्त,
तू कभी ना रोये,मुझे खोने के डर से…

मेरी तन्हाई को मेरा शौक ना समझना,
बहुत प्यार से दिया है ये तोहफा किसी ने…

होश-ए-हालात पर काबू तो कर लिया मैंने,
उन्हें देख कर फिर होश खो गए तो क्या होगा…

कोई और काम मुझे अब सौंप दो तुम,
ये क्या तुझे सोचना और सोचते ही रहना….

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