मैं एक गुनाह हर बार क्यूँ करता हूँ,
हर सजदे में उसे ही याद क्यूँ करता हूँ,
ऐ खुदा अगर वो बना ही नहीं है मेरे लिए.
तो मैं उसे इतना प्यार क्यूँ करता हूँ…
रिश्तों को कोई रूप दे दो,
खिलते फूलों को थोड़ी धूप दे दो,
आपकी याद आयी तो याद किया मैंने,
आप भी हमारी याद आने का कोई सबूत दे दो…
ज़ख्म मोहब्बत में हमने खाये हैं,
चिराग उनकी राहों में जलाये हैं,
हर होंठ पर हैं वो गीत मेरे,
जो उनकी याद में हमने गाये हैं…
जादू है उसकी हर एक बात में,
याद आती है वो दिन और रात में,
कल जब देखा था मैंने सपना रात में,
तब भी उसका ही हाथ था मेरे हाथ में…
हमें उनसे कोई शिकायत नहीं,
शायद मेरी तक़दीर में ही चाहत नहीं,
मेरी किस्मत को लिखकर तो ऊपर वाला भी मुकर गया,
पूछा तो बोला,ये मेरी लिखावट ही नहीं…
साथ हम चलें तो ऐतराज़ ना करना,
कभी हम कुछ माँगें तो इंकार ना करना,
एक तुम ही हो मेरे अज़ीज़ वरना,
इस दिल ने कहा है कि हर किसी पर ऐतबार ना करना…
सारी रात ना सोये हम,
रातों को उठकर कितना रोये हम,
बस एक बार मेरा कसूर बता दे रब्बा,
इतना प्यार करके भी क्यूँ किसी के न होये हम..
ज़िन्दगी कि उलझनें बस एक कश्मकश होती हैं,
हर अधूरे सपने के पीछे ये आँखें रोती हैं,
जानकर भी जब दिल अनजान बन जाता है,
ज़िन्दगी के मायने ये तभी सिखाता है,
गलत नहीं कुछ पर फिर भी कुछ रोकता है,
एक ज़िन्दगी में इंसान क्यूँ इतना सोचता है,
दिल कि ख्वाहिशों को अनदेखा क्यूँ करना पड़ता है,
जीने के लिए इस ज़िन्दगी को ना जाने किस-किस मुकाम से गुज़रना पड़ता है…