शायरी(१०-०१-२०१४)

तिनके तिनके तूफ़ान में बिखरते चले गए,
तन्हाई कि गहराई में हम उतरते चले गए,
उड़ते थे जिन दोस्तों के सहारे आसमान में हम,
एक एक करके सब बिछड़ते चले गए…

ज़िन्दगी से कुछ नहीं माँगा एक तेरे सिवा,
ज़िन्दगी ने सब कुछ दिया बस एक तेरे सिवा…

मुक़द्दर में रात कि नींद नहीं तो क्या हुआ,
हम भी मुक़द्दर को धोखा देकर दिन में सो जाते हैं..

किसी का दर्द जब हद से गुज़र जाता है,
समंदर का पानी आँखों में उतर आता है,
कोई बना लेता है रेत का घर,
और किसी का लहरों में सब कुछ बिखर जाता है…

ख्वाहिश थी मेरी अपनी रूठा यार मनाने कि,
उसके दामन में टूट कर बिखर जाने कि,
जब पहुंचे उसके आँगन में तो देखा,
वो खुदा से दुआ कर रहे थे हमसे दूर जाने की…

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