महफ़िल जब लगी थी यारों कि,
हमको भी बुलाया गया था,
कैसे ना जाते हम,
उनकी कसमें देकर जो बुलवाया था,
कुछ कहने को जब कहा गया,
तो ख़याल उनका ही आया था,
फिर अक्षर-अक्षर जोड़ के मैंने,
दिल का दर्द सुनाया था,
तब आंसू उनकी यादों के ना-ना करते निकल गए,
जो समझे वो खामोश रहे,
बाकी वाह-वाह करते निकल गए….