सज़ा पे छोड़ दिया,
जहाँ पे छोड़ दिया,
हर एक काम को हमने खुदा पे छोड़ दिया,
वो हमको याद रखे या भुला दे,
उसी का काम था,उसी कि रज़ा पे छोड़ दिया,
अब उसकी मर्ज़ी,बुझा दे या जला दे,
चिराग हमने बाहर हवा में छोड़ दिया,
अब उस से बात किये बगैर कैसे रहेंगे हम,
ये मसला दुआ का था,सो दुआ पे छोड़ दिया,
इसलिए तो वो कहते हैं दीवाना हमको,
कि हमने सारा ज़माना वफ़ा पे छोड़ दिया….