देश की आजादी में आधारस्तंभ माने जाने वाले बाल गंगाधर तिलक, महात्मा गांधी और सरदार पटेल भी अपने स्कूल-कॉलेज में पढ़ाई के दरमियान परीक्षा में फेल हो चुके हैं। ये तीनों राष्ट्रीय नेता फेल होने के बावजूद जीवन में कभी हताशा को प्रवेश नहीं करने दिया और सफलता पाने के लिए इन्होंने बार-बार संघर्ष और मेहनत की।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी हाईस्कूल की पढ़ाई इतिहास के पेपर में फेल हो गए थे। ये वही गांधी जी हैं जिन्होंने हिंदुस्तान का इतिहास बदल डाला था। अंग्रेजी की एक परीक्षा में शून्य पाने के बावजूद गांधीजी इंग्लैंड जाकर अंग्रेजी माध्यम में बेरिस्टर की डिग्री हासिल की। लंडन यूनिवर्सिटी द्वारा ली गई मैट्रिक परीक्षा के इंट्रेंस में गांधी जी को पहली बार सफलता नहीं मिली थी, इसके बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और एक बार फिर से नए सिरे से तैयारी की और 15 जुलाई 1890 में गांधी जी एक मात्र पास होने वाले भारतीय बने।
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक शुरुआत से ही शिक्षण क्षेत्र में सबसे अव्वल थे। सिर्फ 20 वर्ष की उम्र में प्रथम स्थान के साथ बीए ऑनर्स की डिग्री हासिल करके आगे की पढ़ाई के लिए उन्होंने गणित विषय को चुना। पहले वर्ष सफल रहने के बाद गंगाधर को दूसरे वर्ष गणित विषय में निराशा हाथ लगी। उसके बाद उन्होंने गणित की पढ़ाई छोड़ कानून की तरफ मुड़ गए। 1878 में एलएलबी की डिग्री प्राप्त करने के बाद किसी सरकारी नौकरी में जुड़ने के बदले उन्होंने देश-सेवा के लिए अपने आपको समर्पित कर दिया।
बल्लभभाई पटेल मैट्रिक की परीक्षा के लिए होने वाले टेस्ट में फेल हो गए थे लेकिन निराशा को दरकिनाकर करते हुए उन्होंने नए सिरे से तैयारी की और 1897 में मुंबई यूनिवर्सिटी में पास होने वाले 1042 छात्रों में 277वां स्थान हासिल किया। बल्लभ भाई इंग्लैंड जाकर बेरिस्टर की पढ़ाई शुरु की, जिसके लिए उन्होंने 6 महीने तक दिन रात मेहनत की और इस परीक्षा में पहला स्थान प्राप्त किया। इसके लिए अंग्रेजी हुकूमत ने उन्हें 50 पाउंड का इनाम पुरस्कार स्वरूप दिया।